जेलों में क्षमता से अधिक कैदी, HC ने मांगा जवाब:हाईकोर्ट ने पूछा- जेल मेनुअल का पालन हो रहा या नहीं, DGP से मांगा जवाब
छत्तीसगढ़ के जेलों में क्षमता से अधिक कैदी और उनके साथ किए जा रहे अमानवीय व्यवहार को लेकर हाईकोर्ट ने DGP से शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है। इस मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में एक साथ सुनवाई चल रही है। शपथ पत्र में इस बात की भी जानकारी देनी होगी कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जेल मेनुअल का किस तरह से पालन किया जा रहा है।
केंद्रीय जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों को लेकर अधिवक्ता शिवराज सिंह चौहान ने एक जनहित याचिका लगाई है। कुछ समय बाद जेलों में कैदियों की अमानवीय परिस्थितियों को लेकर भी एक अन्य जनहित याचिका भी दायर की गई है।
इन दो जनहित याचिकाओं के साथ ही हाईकोर्ट ने जेल में बंद कैदियों की स्थिति को जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है। इन तीनों जनहित याचिकाओं पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में एक साथ सुनवाई हो रही है।
इस मामले में हाईकोर्ट ने अधिवक्ता रणवीर मरहास को न्यायमित्र नियुक्त किया था। उन्होंने जेलों का निरीक्षण कर अव्यस्थाओं पर रिपोर्ट दिया था। पिछली सुनवाई में शासन ने बताया था कि, जेलों में कैदियों के स्वास्थ्य और अन्य सुविधाओं को लेकर काम किया जा रहा है। रायपुर और बिलासपुर के सेंट्रल जेलों में विशेष जेलों की स्थापना, बेमेतरा में ओपन जेल जल्द प्रारंभ करने की जानकारी राज्य शासन ने दी थी।
इस मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सुनील पिल्लै ने बताया कि, जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 6 साल पहले आदेश जारी किया था। जिसमें जेल मेनुअल के अनुसार कैदियों को सुविधाएं मुहैया कराने कहा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का देश के सभी राज्यों में पालन किया जाना था।
लेकिन छत्तीसगढ़ के जेलों में वर्तमान स्थिति उतनी बेहतर नहीं है। जिस पर कोर्ट ने डीजीपी से शपथ पत्र में जवाब मांगा है, जिसमें इस बात की भी जानकारी देनी होगी कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का कितना पालन किया जा रहा है।