रायपुर में विराजे छत्तीसगढ़ के स्वर्ण मुकुट वाले गणपति:INS विक्रांत में सवार भगवान गणेश, राधा-कृष्ण का भी मोहक रूप; जानिए कहां-कैसी प्रतिमाएं और पंडाल
रायपुर में धूमधाम से गणेश उत्सव मनाया जा रहा है। अलग-अलग थीम पर कई गणेश पंडाल बनाए गए हैं। कहीं गणपति को 50 लाख रुपए से अधिक का सोने का मुकुट पहनाया गया है। ये छत्तीसगढ़ के इकलौते स्वर्ण मुकुट वाल गणपति हैं।
कहीं INS विक्रांत में भगवान गणेश सवार हैं। कहीं केदारनाथ मंदिर का स्वरूप है, तो कहीं भगवान राधा-कृष्ण के रूप में हैं। इसके साथ ही रायपुर में अलग अलग थीम पर गणेश जी की प्रतिमा और पंडाल तैयार किए गए हैं।
गोल बाजार स्थित श्री बजरंग नवयुवक मित्र मंडल गणेशोत्सव समिति का 115 साल पुराना पंडाल, जहां CM साय ने बप्पा को नौ रत्नों से जड़ा 750 ग्राम सोने का मुकुट पहनाकर उनकी पूजा-अर्चना की।
रायपुर के गौलबाजार स्थित गणेश प्रतिमा अपनी भव्यता को देखने प्रदेशभर से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं। साथ ही इस वर्ष भगवान शिव और मां पार्वती का नृत्य, भगवान श्री कृष्ण और राधा की रासलीला, भगवान लक्ष्मी नारायण का नृत्य की झांकी दिखाई गई है।
रायपुर के काली बाड़ी में INS विक्रांत थीम पर बना ये गणेश पंडाल पूरे राजधानी में आकर्षण का केंद्र है। इस पंडाल में आते ही देश भक्ति का जज्बा बढ़ जाता है। भारतीय नौसेना में शामिल होने वाला ये पहला विमान वाहक पोत विक्रांत पंडाल को देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे है।
पंडाल और मूर्ति को लेकर अब तक लगभग 7 लाख रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं। सिर्फ पंडाल को ही तैयार करने करीब 5 लाख का खर्च आया है। पंडाल की ऊंचाई लगभग 65 फीट है जबकि चौड़ाई 70 फीट के आसपास है। इसे पश्चिम बंगाल के 45 कारीगरों की टीम ने तैयार किया है।
जय भोले ग्रुप सेवा समिति के अध्यक्ष ने परमवीर सिंह गौतम ने बताया कि हर साल देश भक्ति थीम पर पंडाल तैयार कर रहे हैं। INS विक्रांत के साथ हमने सेना में मिलने वाले सभी मेडल और सम्मान को प्रदर्शित किया है। शहीद हुए जवानों की तस्वीर लगाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई है।
शहर के लाखे नगर में सिंधु युवा एकता समिति ने राधा-कृष्ण के थीम पर गणपति जी स्थापित किया है। मूर्ति इतनी आकर्षक है कि बड़ी संख्या में लोग पंडाल पहुंच रहे है। मूर्ति को पाटन औंधी के कलाकर ने बनाया है। समिति के लोगों ने बताया कि मूर्ति की ओरिजिनल कपड़े और आभूषण से श्रृंगार किया गया है। मूर्ति की ऊंचाई 18 फीट है। 50 मीटर से अधिक कपड़ा लगा है, जिसे दुर्ग से मंगाया गया है।
गुढ़ियारी स्थित पहाड़ी चौक का गणेश पंडाल प्रदेशभर में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पंडाल की सजावट छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध गीतकार मीर अली मीर की लोकप्रिय रचना ‘नंदा जाही का रे’ पर आधारित है। यह गीत छत्तीसगढ़ी लोकसंस्कृति और ग्रामीण जीवन की सरलता का जीवंत चित्रण है, जिसे इस बार पंडाल की थीम में बखूबी उकेरा गया है।
कोटा एथलेटिक स्टेडियम में पंडाल पेरिस ओलिंपिक 2024 पर आधारित है। इस पंडाल में गणेश जी की कुल 8 प्रतिमाएं हैं। पंडाल में भगवान गणेश को विभिन्न खेलों में हिस्सा जैसे रनिंग, भाला फेंक, गोला फेक, टेबल टेनिस ,बॉक्सिंग करते हुए स्थापित किया गया है। इसके साथ ही पंडाल में ओलिंपिक पदक विजेता मनू भाखर, नीरज चोपड़ा के साथ विनेश फोगाट की तस्वीर लगाई गई है।
रायपुर के गुढ़ियारी के पड़ाव में 15 हजार स्कवायर फीट में कृष्ण की विविध लीलाओं पर झांकी तैयार की है। बाल कृष्ण को टोकरी में रखकर सिर पर धारण कर ले जाते वासुदेव, पूतना वध, माखन चोरी करते कान्हा, कृष्ण पर गुस्सा करते मइया यशोदा और मुख में ब्रह्मांड का दर्शन कराते श्रीकृष्ण, कालिया नाग का मर्दन करते, यमुना नदी में स्नान कर रहीं गोपियों का वस्त्र हरण करने के थीम पर बनाया गया है।
राधा और गोपियों के संग रासलीला नृत्य करते और वृंदावन की होली श्रीकृष्ण के प्रसंगों दिखाया गया है। इस झांकी को करीब 25 लाख रुपए की लागत से तैयार किया गया है। दुर्ग के कलाकार जंगी मल्होत्रा ने इसे बनाया है।
रायपुर शहर में कई ऐसी समितियां हैं, जिन्होंने AI की फोटो पर आधारित गणेश की प्रतिमा अपने पंडाल में स्थापित की है। समितियों की माने तो पहले बप्पा की AI से तस्वीर कराई गई और फिर उसी फोटो से हूबहू प्रतिमा तैयार कराई गई।
मूर्तिकार मोहन चक्रधारी ने बताता कि इस साल रायपुर शहर के लिए ही करीब 20 प्रतिमाएं एआई पर आधारित फोटो से तैयार की गई है। इस प्रतिमा की ख़ासियत ये है कि इन सभी में भगवान गणेश के बाल स्वरूप को ही दिखाया गया है।