हजारों साल पुराने रहस्यों का गवाह है मल्हार का ऐतिहासिक गढ़, प्राचीन सामाजिक व्यवस्था की दिखती है झलक

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिला स्थित मल्हार का प्राचीन गढ़, भारतीय इतिहास और वास्तुकला का एक अनमोल खजाना है. यह स्थल ना केवल सोमवंशी और कलचुरी राजवंशों की स्थापत्य कला का प्रतीक है, बल्कि यहां की खुदाई में मिले अवशेष देश की प्राचीन सभ्यता के अद्भुत प्रमाण प्रस्तुत करते हैं. हजारों साल पुराने इस गढ़ की खोज ने छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक महत्ता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.
2010 में भारतीय पुरातत्व विभाग की नागपुर शाखा ने मल्हार के गढ़ के एक हिस्से की खुदाई की. इस दौरान मिट्टी के बर्तन, टेराकोटा की मूर्तियां, लोहे के उपकरण, मृदभांड, कृपाण और लगभग 2000 वर्ष पुराने चावल के दाने मिले. इसके अलावा, एक महलनुमा संरचना भी उजागर हुई, जिसने पुरातत्वविदों को उत्साहित किया. इन खोजों ने गढ़ की ऐतिहासिक समृद्धि को प्रमाणित किया.
कई युगों की बसाहट का प्रमाण
गढ़ में खुदाई से पूर्व मौर्य, शुंग-सातवाहन, गुप्त-वाकाटक और उत्तर गुप्तकाल तक की बसाहट के प्रमाण मिले हैं. प्रस्तर और ईंट से निर्मित संरचनाओं में सोपान और जल निकासी प्रणाली की खोज ने उस समय की उन्नत तकनीक और सामाजिक व्यवस्था पर प्रकाश डाला.