जोखिम में छात्रों की जिंदगी : स्कूल में शौचालय नहीं, शौच के लिए तालाब और जंगल जाना बच्चों की मजबूरी

दरअसल, पूरा मामला जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर ग्राम नारिया कोडोली का है. यहां ज्ञान ज्योति प्राथमिक शाला भवन में तीन शौचालय तो है, परंतु शौचालय में न तो दरवाजा है और न ही छप्पर, शेड भी उखड़ गया है तो वहीं टॉयलेट शीट बुरी तरह टूटा होने के साथ ही शौचालय में जहरीले कीड़े-मकोडो का बसेरा रहता है. इसके चलते बच्चों को शौच के लिए जान जोखिम में डालकर पास के तालाब व जंगल में जाना पड़ता है, जहां जानवरों और जहरीले कीड़े मकोड़े का भय बना रहता है और रोज इन गतिविधियों को देखने शिक्षक मजबूर हैं.ग्रामीणों का कहना है कि हम प्रतिदिन अपने बच्चों को स्कूल भेजकर रोजी मजदूरी या खेती किसानी करने निकल जाते हैं. बच्चों को भोजन स्कूल में कराया जाता है. सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक स्कूल लगता है, इस दरमियान उन्हें शौच जाना होता है तो उन्हें जंगल या तालाब में जाना पड़ता है. बच्चे छोटे हैं इस दरमियान कीसी प्रकार की अप्रिय घटना घटित होने पर इसका जिम्मेदार कौन होगा? हमने तो कई दफा शाला परिसर में शौचालय और बाउंड्री वॉल की मांग की है, लेकिन कोई सुध लेने वाला ही नहीं है.प्रधान अध्यापक देवेन्द्र देवांगन ने कहा वर्षों से मांग के बाद शाला के लिए पक्का भवन तो बन गया, लेकिन वर्तमान में मुख्य रूप से शौचालय और बाउंड्रीवॉल के संबंध में हमने कई दफा उच्च अधिकारियों को अवगत कराने के साथ ही ग्राम पंचायत में भी पत्र दिया है. मगर अब तक मांग पूरी नहीं हुई है, जिस वजह से शौच के लिए बच्चे तालाब व जंगल जाने के लिए मजबूर है.