सट्टा बाजार बोला- 400 पार नहीं जाएगी BJP:लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिलेंगी सिर्फ 43 सीटें; छत्तीसगढ़, MP, गुजरात में सूपड़ा साफ
लोकसभा चुनाव को लेकर देश में आचार संहिता लग चुकी है। INDI अलायंस केंद्र में सरकार बनाने और भाजपा 400 प्लस सीटें जीतने का दावा कर रही है। इन सबके बीच देश में सट्टा बाजार भी गर्म है। हालांकि उसने दोनों ही के दावों को नकार दिया है।
सट्टा बाजार के जानकार कहते हैं कि भाजपा एक तरफा जीतेगी, लेकिन 543 में से 331 सीटें ही खाते में आएगी। वहीं सरकार बनाने का दावा कर रही कांग्रेस 43 सीट पर सिमटेगी। इससे पहले 9 मार्च को सट्टा बाजार ने भाजपा को 332 सीटें मिलने का दावा किया था।
छत्तीसगढ़ की 11 सीट बीजेपी के खाते में
सट्टा बाजार का दावा है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाएगा। पिछले चुनाव में 2 सीटें बस्तर और कोरबा जीतने वाली कांग्रेस इस बार जीरो पर रहेगी। वहीं भाजपा सभी 11 सीटों पर जीत दर्ज करेगी। फिलहाल कांग्रेस ने अभी 6 सीटों पर ही अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं।
इन राज्यों में ये स्थिति
नाम ना छापने की शर्त पर सट्टा बाजार से जुड़े एक शख्स ने बताया, कि छत्तीसगढ़ के अलावा बीजेपी को गुजरात में 26 सीट, राजस्थान में 25-27 सीट, मध्य प्रदेश में 29 सीट, उत्तराखंड में पांच, दिल्ली में सात और हिमाचल प्रदेश में चार सीट मिल रही है। वहीं सट्टा बाजार भाजपा को छत्तीसगढ़ 60-80 पैसे, राजस्थान में एक रुपए, गुजरात में 40-50 पैसे, दिल्ली में 50-60 पैसे और उत्तर प्रदेश में 1 रुपए का भाव दे रहा है।
इस तरह काम करता है सट्टा बाजार
लोगों का चुनावों के रुझान और परिणाम में दिलचस्पी देखते हुए सटोरिये और दलाल सक्रिय हुए और सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल करके पूरा नेटवर्क बनाया। सट्टा बाजार से जुड़े लोग दावा करते है, कि चुनाव का सटीक अनुमान बनाने के लिए वे ग्राउंड रिपोर्ट पर भी काम करते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर एनालिसिस कर बाजार में रुझान बताते हैं।
कांग्रेस-बीजेपी नेताओं की नजर भी रहती है सट्टा बाजार में
कांग्रेस और बीजेपी के सीनियर नेता भी सट्टा बाजार की जानकारी को रखकर अपनी रणनीति बनाते है। विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के सीनियर नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस कान्फ्रेंस कर इस बात का खुलासा किया था। तब उन्होंने कई राज्यों में सरकार बनाने का दावा किया था। सीनियर नेता का दावा हकीकत में अधूरा रह गया था। बाजार के रुझान के विपरीत चुनाव का परिणाम आया था।