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राष्ट्रीय

हरियाणा में बीजेपी को बड़ा झटका, पूर्व मंत्री कर्णदेव कंबोज कांग्रेस में हुए शामिल, सीएम सैनी से हाथ मिलान से कर दिया था इंकार

हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले को बड़ा झटका लगा है। पूर्व मंत्री और ओबीसी मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष कर्णदेव कंबोज  कांग्रेस  में शामिल हो गए हैं। कंबोज हरियाणा में ओबीसी वर्ग के बड़े नेता हैं। टिकट कटने के बाद कर्णदेव कंबोज ने सीएम सैनी से हाथ मिलान से इंकार कर दिया था। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हआ था और कर्णदेव ने सुर्खियां बटोरी थी।पूर्व मंत्री काम्बोज ने दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ओर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा की मौजूदगी में कांग्रेस पार्टी का पटका पहना।

बता दें कि कर्णदेव कंबोज खट्टर सरकार में मंत्री रहे हैं। काम्बोज रादौर ओर इंद्री में से किसी एक सीट पर विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। इसके लिए वे काफी समय से तैयारियों में जुटे थे। वहीं लेकिन बीजेपी ने रादौर से श्याम सिंह राणा ओर इंद्री से रामकुमार कश्यप को टिकट दे दिया। विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से वो नाराज चल रहे थे। उनकी नाराजगी दूर करने के लिए खुद सीएम नायाब सिंह सैनी ने पहल की थी। वो खुद कर्णदेव कंबोज को मनाने के लिए गए थे। उन्होंने कंबोज से हाथ मिलाना चाहा लेकिन उन्होंने हाथ जोड़ लिए थे। इससे सीएम को शर्मिंदगी का शिकार होना पड़ा था।

काम्बोज के कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शुक्रवार को बीजेपी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राज्य में बीजेपी सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इस भ्रष्ट और नाकारा सरकार का जाना तय है। इस सरकार ने झूठे वादों और घोटालों के जरिए 10 साल तक जनता को लूटा है। इसका अब हिसाब देना होगा। उन्होंने कहा कि बीजेपी को बताना होगा कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के वादे का क्या हुआ? डीजल, खाद और बीज के दाम बढ़ाकर फसलों की लागत कई गुना क्यों बढ़ा दी? किसान आंदोलन और 750 किसानों की शहादत को क्यों गंभीरता से नहीं लिया?

बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव 5 अक्टूबर को होगा। वहीं, मतगणना 8 अक्टूबर को होगी। वहीं मतगणना 8 अक्टूबर को होगी। इससे पहले यह तारीख 1 और 4 अक्टूबर थी लेकिन चुनाव आयोग ने इसमें बदलाव किया है। आयोग ने इसके पीछे की वजह बताते हुए सफाई दी कि बिश्नोई समुदाय के मताधिकार और परंपराओं दोनों का सम्मान करने के लिए यह फैसला लिया गया है। बिश्नोई समाज ने आसोज अमावस्या उत्सव में भाग लेने की सदियों पुरानी प्रथा को कायम रखा है। ये उस दिन अपने गुरु जम्बेश्वर की स्मृति में उत्सव मनाते हैं।

 

Anil Sahu

मुख्य संपादक

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